आज मेरी नौकरानी शीला दो दिन बाद काम पर आई थी.मैं उससॆ नाराज थी कि बताए बगैर छुटी की .डाँटा तो वह रोने लगी और अपनी चोटॆ दिखाने लगी.
पूरे शरीर पर निशान थे .बडा दु;ख हुआ देख.कर .... रात से खाना भी नही खाया था चाय के साथ कुछ खाने को दिया.फिर पूछा क्यो उसॆ पॅति ने मारा .वह उसकी सारी कमाई अपने पास रखना चाह्ता है कुछ पैसे इसने अपने पास रखने चाहे तो मारना शुरु कर दिया ,दो बच्चो और सास के सामने ही मारना शुरु कर दिया .दस साल का लडक़ा और सात साल की लडक़ी खडॆ देखते रहे बचाने को चले तो उन्हेँ भी फेक़ क़र मारा .सास खडी देखती रही .उसके कपडॆ भी फाड दिये उन सबके सामने.... फिर भी गरीबी देखिये पडॉसिय़ॉ से साडी मांग कर काम पर आई.रो रोकर अपनी कहानी सुनाने लगी .13 साल की उमर मे उसॅक़ॆ पिता ने उसकी माँ सॆ पूछे बगैर शराब के नशे मेँ शादी पक्की कर दी .पति का रवैया देख.कर वह चकित रह गई.शारीरिक सम्बन्ध के अलावा उसे शीला से कोई मतलब नहीँ था .पहली लडक़ी हुई तो सास ने नहलाते हुए गला दबा दिया कि बच्ची मरी हुई पैदा हुई है जबकि इसने अपनी आखोँ सॆ उसॆ आँखेँ खोलते हुए देखा.इसके बाद वह माँ क़ॆ पास चली गई इस दौरान बहुत कम अपनी ससुराल आई .माँ ने ही उसे सहारा दिया.दो बच्चे हो गये...पति शहर मे क़ाम करने आ गया तो इसे साथ ले आया .उसके अनुसार वह सुधर गया है . इसको काम करने की आज्ञा दी है...घर का काम भी करवा देता है लेकिन उसकी कमाई का पूरा हिस्सा अपने पास रखता है तो क्या हुआ हर दूसरे महीने उसकी मार..पिटाई करता है और वह भी इतनी कि पडॉसिय़ॉ को छुड्वाना पडता है .पिछ्ले महीने उसकी माँ भी मर गई जो कि उसका एक़्मात्र सहारा थी. जाते जाते वह उसके लिये एक़ छोटा सा मकान बना गई कि मुसिबत मेँ वह उसके काम आ जाये .शायद माँ क़ॉ कही न कही मन मेँ शंका ठीक कि यह आदमी नही सुधरेगा .रिश्तो क़ी बात देखिये कि बडा भाई इस फैसले से नाराज हो गया .कारण ..लडक़ी का शादी के बाद जायदाद् मे कोई हिस्सा नही होता .उसने बहिन से नाता खतम कर लिया .एक़ सकून जरूर उसे मिला कि छोटॆ भाई ने कुछ एतराज नही जताया .25 साल की उमर मेँ ही शीला ने इतना कुछ देख.लिया कि लगता है कुछ बचा ही नही .हमारे समाज मे लडका लडकी मे फरक क्यो?? .एक़ ही पेट सॆ पैदा हुए बच्चे है माँ क़ॉ क़्योँ हक़ नही है कि वह अपनी कमाई चाहे किसी भी बच्चे को दे .उसी घर मेँ पैदा हुई लडक़ी शादी के बाद इतनी पराई हो जाती है कि वह अपनी ही माँ सॆ क़ुछ मांग़ भी नही सकती है .और शादी कर के आयी नई बहू सारे घर की मालकिन हो जाती है .संसार का यह नियम समझ मेँ नही आया.मेरे ख्याल से तो हर माँ..बाप को अधिकार है कि चाहे बेटा हो या बेटी जिसको मरजी अपनी जायदाद/गहने/देँ उनको अपने बच्चोँ क़ॆ दुख..सुख मे साथ देने का पूरा हक़ है .लेकिन इतना सब होने के बाद भी आखिर मे शीला ने मुझसे जो सवाल पूछा तो मै भी हैरान रह गई ....मैडम क्या मेरा बेटा बडा हो कर मेरा ख्याल रखेगा कितनी अजीब बात है अब भी वह अपनी आशायेँ अपनी बेटी से नही लगा रही है जब कि पूरी जिन्दगी एक़ औरत [उसकी माँ] ने ही उसका साथ दिया दिमाग की इस सोच को आप क्या नाम देँग़ॆ ......मेरी सोच ...नारी तू खुद ही अपने जंजाल से निकलना नही चाहती .
संगम तट पर अधेड़ महिलायें
4 hours ago