Sunday, April 19, 2009

बिटिया के नाम

समय के हाथ मेँ हमारी जिन्दगी के लमहे है .उसी के अनुसार हमारे दुख-सुख जुडॆ हैँ .आज के दिन दो साल पहले मेरी बेटी की शादी हुई थी उस वक्त लग रहा था कि उसके बगैर जी नहीँ पाऊँगी .याद आती है .तीन दिन पहले ही मेरी मांनसिक दशा बिगड जाती है कि मुझे लगता है जब वह मेरे से दूर चली गई है तो कैसे उसॆ बधाई दूँ .लेकिन मन को समझाती हूँ क़ि यही जीवन है .आज के दिन मेरी बेटी ने अपनी निजी जिन्दगी शुरू की थी. उसे नई खुशी मिली , अच्छा जीवन साथी मिला. मेरी खुशी भी यही है .कि वह एक खुशहाल जिन्दगी जीये .दूसरे साल मे मन खाली खाली सा है लेकिन आँखो मे आंसू नहीँ हैँ .समय के साथ उसके बिना भी खुश रहना सीख रही हूँ .नई राहेँ नए दोस्त नया काम खोज रही हूँ पर अचानक यह आँख क्योँ भर आई...
शायद कुछ समय और लगेगा बिटिया तेरे बचपन की तसवीरेँ हर पल मेरे साथ रहतीँ हैँ क़ुछ मीठी कुछ खट्टी यादे तेरी माँ क़ॆ पास हैँ....कड़वी यादोँ को स्लेट सॆ मिटा कर मीठी यादोँ क़ॆ साथ बाकी की जिन्दगी काटना चाहती हूँ .ना चाहते हुए भी शायद इस दिन आँख भर ही आया करेगी .तुम जहाँ भी रहो खुश रहो तुम्हारी झोली खुशियोँ सॆ भरी रहे जो रिश्ते तुम्हारी कद्र करते हैँ उन्हेँ समेट क़र चलना जो कद्र नहीं क़रते उन्हेँ समय पर छोड़ दो और चेहरे पर हर वक्त मुस्कान रखो... जीने की डग़र आसान हो जायेगी चलिये यह तो मन की बात थी वास्तविक्ता को स्वीकार करके समयानुसार जिन्दगी की सीड़ियाँ चढ़ते जायेँ इसी मेँ जीने का मजा है .इंसान एक आशियाना बनाता है दो जीवन एक राह पर चलने की कसमे खाकर जीवन शुरू करते हैँ परमात्मा उनकी हर इच्छा पूरी करें मेरा और पापा का प्यार और आशीर्वाद हर वक्त तुम्हारे साथ है
19 अप्रैल 2009
ममी पापा स्नूपि..

17 comments:

  1. aap maa hain shayad is liye aap itna achchha likh paayi hain.Kai varshon tak saath rahne ke baad jab koi door kisi jagah par chala jata hai..to khalipan lagta hi hai...kite hi phone se batein ho bar wo ghar ka khalipan nahin bhar pata.
    Navnit Nirav

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  2. हेल्लो मम्मी,
    देखो आज मैं भी हिंदी में लिख रही हों आपको, बहुत अछा लिखा है अपने, सच मुझे भी आपकी, पापा और सबकी बहुत याद अति है , ऐसे लगता है कल का ही दिन था जब मैं घर पे थी और अब दो साल बीत गए, वक़्त बहुत जल्दी कट रहा है लेकिन ख़ुशी हुई देख के की आप भी व्यस्त हो रही हो. हम चाहे अलग अलग रहें लेकिन मन से मैं हमेशा आपके और पापा के पास हों, और जब भी आपका मन करे तो मिलने आ जाओ. चलो आप ऐसे ही अछी अछि बातें करती रहो और लिखते रहो.
    पापा और स्नूपी को ढेर सारा प्यार और आप भी अपना ध्यान रखना.
    आपकी प्यारी बेटी
    चांदनी

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  3. नमस्ते मम्मी,
    चांदनी के लिए अपने जो लिखा वो मैंने पढ़ा, कल मैं यही सोच रहा था की हमारे लिए जो ख़ुशी का दिन है वो आपके लिए वो दिन है जब चांदनी घर से गयी थी. मैं आपका खालीपन तो दूर नहीं कर सकता लेकिन इतना ज़रूर भरोसा दे सकता हों की मैं चांदनी को बहुत खुश रखोंगा, आप बिलकुल चिंता न करें. अछा लगा पढ़ के धीरे धीरे आप अपना मन और नयी चीजों में लगा के अपने आप को व्यस्त कर रही हैं . मैं समझ सकता हों पापा और आपको अभी भी चांदनी की बहुत याद अति होगी. शुक्रिया अपने इतना अछा लगा हमारी शादी इ सालगिरह पे . आप कब मिलने आओगे , हम दोनों आपका और पापा का इन्तेज़ार कर रहें हैं ,और अगले महीने चांदनी आ ही रही है आपसे मिलने . आप अपना और पापा का ध्यान रखियेगा.
    स्नूपी को हमारी तरफ से ढेर सारा प्यार , आपको और पापा को नमस्कार और भैया और सोनम को हमारा हेल्लो .
    आपका पुत्र,
    विवेक

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  4. इनको चाहिये प्यार थोड़ा परवरिश में , और केवल एक मौका
    करेंगी नाम , बेटों से बढ़कर होंगी साबित ये किशोरी लड़कियां

    हैं आयते कुरान की ये और वरसेज बाइबिल की , श्लोक सी हैं
    चौपाइयां पावन हैं , मानस की , ये नव किशोरी लड़कियां

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  5. main bhi maan hoon aur apni beti se door .abhi wo padhai kar rahi hai ,par dasha kamobes aap jaisi hi hai ......isliye aankh bhar aai ....

    चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है ,लेखन के लिए शुभ कामनाएं ............

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  6. Hindi Blog Jagat men aapaka swagat hai !

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  7. सबको मेरा प्रणाम... सोचा न था कि ब्लॉग जगत में आप सब इतने प्यार से स्वागत करेगे और अपना ही एक सदस्य मान लेंगे. आपका ऐसा ही सहयोग मिलता रहा तो न सिर्फ अपने भाव व्यक्त कर पाऊँगी बल्कि आपके भी जान पाऊँगी. आप सबका बहुत बहुत आभार.
    प्यारी चाँदनी विवेक.. हिन्दी मे लिखकर आप दोनो ने मेरा ही मान नहीं बढाया बल्कि हिन्दी जगत में दो और सदस्य बन कर शामिल हो गए. बहुत बहुत प्यार और आशीर्वाद

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  8. बेटियाँ यूँ ही याद आती है ..:) पर वह खुश रहे यही दुआ रहती है .स्वागत है आपका ..लिखती रहे ..

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  9. दिल से लिखी गई बात दिल को छूती है.. सच में आँखें भर आईं..

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  10. मिनाक्षी आंटी,
    आपका बहुत शुक्रिया ,अपने मम्मी को नयी चीज़ सिखाई , इस बार आप यहाँ आएंगी तो मिलेंगें ज़रूर.
    चांदनी

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  11. हिंदी ब्लाग जगत में आप पूरे परिवार का हार्दिक स्वागत है।

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  12. Deepaji,
    Aapko padha to mujhe meree awastha yaad aa gayee..
    Mere blog," Sansmaran" me gar padhen"Aankhen thak naa jayen", tatha," Jaa ud jaare panchhee", to lagega aurbhi koyi aapke saath ,bilkul qareebse shamil hai...

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  13. ज़िन्दगी रूकती कहाँ है उसे तो चलना ही होता है...खुश वो ही लोग रह सकते हैं जो इस सच्चाई को जान लें और ज़िन्दगी को उसके हिसाब से ही चलने दें अपने हिसाब से चलाने की कोशिश ना करें...क्यूँ की अपने हिसाब से चलाने के चक्कर में सिवाय दुःख और हताशा के कुछ हाथ नहीं आता...
    बहुत अच्छी पोस्ट.
    नीरज

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  14. सचमुच दिल को छू गई। आँखों में आँसू भी भर आए। माँ के दिल का बहुत संवेदनशील भाव लिखा है।
    अच्छा है कि आप व्यस्त हैं, बच्चे भी तभी खुश रह सकते हैं जब उनके माँ-बाप खुश हों। आपका परिचय मीनाक्षी के ब्लाग पर पढ़ा। आपके ब्लाग को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। आपके पास कई सारे पुर्जे हैं यहाँ उन्हें जोड़ डालिये, यह बहुत अच्छा माध्यम (सेतु) है...समाज से समाज के बीच।

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