Tuesday, April 21, 2009

ज़िन्दगी का एक और नया फलसफ़ा

आज 16 अप्रैल को मैँ .अपनी दोस्त रीना .के साथ.रैकी सीखने के लिये र्रैकी मास्टर के पास गयी. पहले तो ऐसा लगा कि चलो देखते हैँ यह विधा है क्या और कैसे बिना दवाइयोँ क़ॆ क़िसी भी व्यक्ति को आराम पहुँचाया जा सकता है .मास्टर रैकी के बारे मेँ समझाती गयीँ विश्वास करना मुश्किल लग रहा था .जब उन्हौँने कहा कि हम उस पावर के दूत हैँ ज़ॉ हम कर रहे हैँ उनकी अनुमति से कर रहे हैँ हील करने वाले वही हैँ .सुप्रीम पावर वही हैँ . रैकी लेने के बाद मुझे समझ आ गया कि इस विद्या को मैँ अपने आसपास के जीवन मेँ प्रयोग कर सकती हूँ .परिवार मे किसी भी सदस्य को वक्त आने पर रेकी द्वारा मदद कर सकती हूँ....ऎन जी ओ मे दूसरोँ को भी आराम पहुँचा सकती हूँ .नशा मुक्त होने आये लोगोँ क़ॉ हील कर सकती हूँ क़्योँक़ि ज़ॅब वॆ नशा नही करते तो शरीर मे बदलाव आते हैँ उस वॅक़्त रैकी उन्हेँ आत्मिक व शारीरिक दोनो तरह से आराम पहुँचाती है .
इस तरह से आज मैनेँ ऎक नई राह की खोज की .जिन्दगी के फलसफोँ मेँ एक नया फलसफा जुडा..नई राहेँ खोजने चली थी,, एक राह तो मिली कहाँ तक इस पर चल पाऊँगी यह तो ऊपर वाला ही जाने. परिवार के संकुचित दायरे से निकल कर अब औरोँ का भी ख्याल आता है .एन जी ओ मे जा कर मैँ सॉच भी नही सकती थी वे मुशिकलेँ दिखती हैँ .जैसे मैँ कमरे मेँ बैठी थी एक आदमी आया ;एक प्लासटिक़ का थैला रख कर बोला यह औरत मेरे काम की नही है क्योँक़ि इसॅक़ॆ पॆट मे क़िसी और का बच्चा है .मेरे पास बैठे आदमी ने शादी कराई थी सुनने वाला मुझे परेशान लगा पूछा क्या बात है उसने कहा मैडम यह झूठ बोल रहा है .मैने उसे समझाने की कोशिश की कि शादी करके ऐसे कैसे आप एक पत्नी को छोड सकते हैँ उसने कहा मैडम किसी और का बच्चा मै क़्य़ॉ रखूँ इसॅक़ॆ पॆट मेँ तो चार महीने का बच्चा है मेरी शादी को तो सिर्फ एक महीना हुआ है .यह सुन कर मै भी असमँज़ॅस मेँ पड गयी .मैनेँ डाक्टॅर् की रिपोर्टॅ देखी चार महीने का अन्दाजा लिखा था मैने दोबारा से अल्ट्रासाऊँड क़रवाया ज़िसमे बच्चा 10 दिन का भी नही था पहले तो वह रखने को मान गया था .रिजल्ट क़ॆ बाद मुकर गया .इस हालात मे वह लडॅकी तो खडी की खडी रह गई .गरीब घर की लडकी थी.. माँ भाई की रोज़ी रोटी का सहारा थी लेकिन वापिस जाने को तैयार नही थी...शहर में रहकर ही उनकी मदद करना चाहती थी, साथ ही साथ पैसा कमा कर उस फरेबी पति पर मुकदमा दायर करना चाहती है. वह लडका नौकरी छोड कर चला गया .मुझे लगा कि मैँ क़ुछ थोडाबहुत तो कर पायी उस लडकी क़ॆ लिये .उस पर लगे आरोप को तो मिटा पाई .जिस शादी मे चार पांच आदमी खडे थे कोई आगे नही आया .अभी वह लडकी सोच नही पा रही है कि वापिस घर जाये या यहीँ रह क़र नौकरी करें और अपनी लडाई लडॆ लेकिन उससे कोई फयदा नजर नही आ रहा क्योकि जो मन से ही धोखेबाज हो वह कब तक उसका वफादार रह सकता है इससे अच्छा तो वह अपनी जिन्दगी बनाने मे लग जाये वह ज्यादा अच्छा है .दो तीन दिन मन बहुत बैचैन रहा .फिर सोचा पता नही एसी कितनी नारियाँ हालात क़ॆ हाथोँ मजबूर होकर घुटन भरी जिन्दगी जी रही हैँ .

20 comments:

  1. ऐसे लोग जो दूसरों पर झूठे दोष मढ़ें उनका एक ही जवाब है और वह है जूता.

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  2. ऐसे आदमी को कभी माफ नही करना चाहिए।लेकिन यह भी हो सकता है कि उसे आप की बात पर यकीन ना आया हो।क्यों कि शक कि दवा किसी के पास नही होती।कुछ लोग इसी कारण अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं।शायद यह भी ऐसी प्रावृति का इंसान रहा होगा।

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  3. us ladki se kahen ki aise aviswashi aadmi ke saath jeevan barbaad karane ke bajay naye sire se jin dagi shuru kare. ek nahi hajaron musibaten aati hain har roj aadmi ko todane. bus majboot bano, sab honsala ban jayengi.
    aapki bhavnayen man ko chhoo gayeen. badhai.

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  4. आपके द्बारा रेकी के बारे मे फिर महिला के साथ हुई नाइंसाफी के बारे में अच्छी जानकारी दी. आपके द्बारा
    गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना भी अच्छा लगा.
    - विजय

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  5. हेल्लो मम्मी,
    अछा लगा आपका रेखी का अनुभव पढ़ के, और आपका ऍन जी ऊ का अनुभव तो मुझे पहले ही अपने बताया था, ये तो अछा है की अपने उस लड़की के ऊपर से गलत इल्जाम हटा दिया , बाकि जो भगवान ने दुःख सुख लिखे हैं वो तो हम सब को ज़िन्दगी के साथ महसूस करना ही है. आप ऐसे ही लोगों की मदद करते रहो, अपनी तरफ से बाकि भगवान की मर्ज़ी .
    आपको और पापा और स्नूपी को ढेर सारा प्यार
    चांदनी

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  6. नमस्ते मम्मी,
    आपका नया अनुभव पढ़ के बहुत अछा लगा, चांदनी ने मुझे दो दिन पहले ही बताया आप रेखी सीख रही हैं , अछा लगा जान के , और ये तो आपके और पापा के लिए बहुत अछी चीज़ है .
    थोड़े दिन पहले ही बताया था चांदनी ने आपके ऍन जी ऊ की इस बात के बारें में . अपने अछा किया जो अपनी तरफ से उस लड़की के ऊपर लगे गलत इल्जाम को साफ़ करवाया , कम से कम वो लड़का गलत साबित हुआ . और भगवान ने सबको अपने हिस्से के दुःख और ख़ुशी दी हैं जो हमें अनुभव करनी है , ये सब पढ़ के भगवान को शुक्रिया ही करता हों की उन्होंने हमें कितने अछी ज़िन्दगी दी है और आप जैसा अछा परिवार दिया है.
    अगली बार आऊंगा तो रेखी कर्वओंगा आपसे .
    पापा को नमस्ते और स्नूपी को बहुत प्यार
    आपका पुत्र
    विवेक

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  8. मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है।
    जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  9. दीपा जी आपका ब्‍लॉग

    अनुभवों के दीप ज्‍वलित कर

    भावों का आलोक बिखेरता रहे।

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  10. आपके लेख का पहला हिस्सा उत्साहवर्द्धक लगा परन्तु दूसरे को पढ़ कर मन दुखी हो गया.

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  11. मीनाक्षी जी के ब्लॉग से आप तक पहुंचा हूँ.. यकीन मानिए बहुत ख़ुशी हुई.. आपका और आपके पुत्र का संवाद बहुत अच्छा लगा.. दुरिया तो जैसे मिट ही गयी..

    बहुत शुभकामनाये

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  12. कुछ इस तरह से किस्से सामने आ जाते हैं ..कुछ यूँ ही खत्म हो जाते हैं ..रेकी विधा सच में रोचक विधा है ..

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  13. meenakshi ji ke blog se hum bhi aae hai aapke blog par deepa ji,umar mein bahut chote hai aapse,phir bhi ek nayi saheli mil jaane ki khushi hai,sunder post hai teeno bhi,aur aapke beta ji ki tippani yaha char chand laga rahi hai,bahut shubkamnaye.

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  14. मेरा एक शेर इसी आशय का है...
    "रखा महफूज़ अपने ही, लिये तो खाक है जीवन
    बहुत अनमोल है मिट कर, किसी के काम गर आये"

    बहुत अच्छी और प्रेरक पोस्ट
    नीरज

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  15. बेहतरीन पोस्ट.

    हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

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  16. रैकी का नाम और काम तो पहले भी दैखा था । पर आपका ब्लॉग अच्छा लगा और आपका प्रयास भी ।

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  17. aapne kuchh to kiya ....un tamaam se hat kar

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  18. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ..........
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽऽ

    ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
    अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
    -(बकौल मूल शायर)

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  19. मीनाक्षी जी के माध्यम से इस ब्लाग पर पहुँचा हूँ। बेहतर ब्लाग है। आप ने समाज के लिए कुछ करने का बीड़ा उठाया यह बहुत बेहतर कदम है। जीने का नया और अच्छा तरीका। आप ने अपने अनुभव बांटने के लिए यह ब्लाग बनाया यह एक कदम और आगे है। स्त्रियों की अवस्था बहुत बुरी है। उन्हें जगाने की जरूरत है। विवाह में बराबरी तभी कायम रह सकती है जब स्त्रीपुरुष दोनों ही पैरों पर खड़े हों।

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  20. aapka blog hamare liye margdarshak hai, dhanyvaad

    मयूर दुबे
    अपनी अपनी डगर

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