Thursday, June 4, 2009

एकता

आज टी.वी. मे एक़ ऐसा वीडियो क़्ळिप देखा जो मन की तह तक को छू गया...आप लोगोँ को भी बताना चाहती हूँ क़ि जांनवरोँ मेँ भी हमारे जैसी भावनायेँ होती हैँ सिर्फ़ जबान नही है .बचपन मे सीखते आये हैँ एक़ता मेँ बल होता है.यही मैनेँ देखा इस क्लिप मेँ ..
नदी किनारे चार-पांच शेर छुपे बैठे थे शिकार की तलाश मे..... तीन भैँसॆ पानी पीने आ रहे थे ...एक़ बच्चा और दो बडॆ ।जैसे ही वे नदी के पास पहुंचे....... शेर उनकी तरफ दौड पड़े.... उलटे पाँव भैँसॆ दौडॆ .बच्चा थोडा पीछे रह गया एक़ शेर ने झपटा मारा वह पानी मे गिर गया .शेर के साथ .बाकी चारोँ शेर भी उसे खीचने लगे पानी से बाहर .डर क़ॆ मारे वह चिल्लाता रहा और उंनसे छूडाने के लिये पानी के अन्दर जाने की कोशिश करता रहा .इसी खींचातानी मेँ अचानक से मगरमच्छ पानी से उपर निकला और उसकी पूँछ पकड ली उसने ....
उस बिचारे को क्या पता था कि पानी मेँ मुक्ति की बजाये एक़ और मौत मगरमच्छ के रूप मे इंतजार कर रही है. .छोटॆ सॆ जानवर को इतने दरिन्दो ने दबोच रखा था चारोँ शेर मिल के खींच रहे थे तो मगरमच्छ के मुँह से उसकी पूँछ छूट ग़ई... एक़ शेर ने पानी के अन्दर जा कर उसे ऊपर धकेल दिया .
अभी सारे शेर उसके चारोँ तरफ खडॆ होकर् खाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक से भैंसोँ का बहुत बडा झुन्ड दौडता हुआ आया .शेरोँ पर झपट पडा .कुछ देर तो शेर दहाड़े कि जंगल के राजा का सामना करने की इनकी हिम्मत कैसे हुई .तभी एक़ भैँसा पास आया और एक़ शेर को सींगोँ पर उठा कर फैंक दिया .बाकी शेरों क़ी हैरानी का कोई ठिकाना न रहा....
उसी भैँसॆ ने एक़ शेर को काफी दूर तक खदेडा शायद वह उस बच्चे की माँ थी जो एक़ शेर को दूर फेँक़ कर दूसरे को खदेडने आ गई दूसरे भैँसॉ ने भी उतने ही जोश से आक्रमण क़िय़ा अचम्भे की बात यह हुई कि इस बीच वह बच्चा उठ कर भैँसोँ क़ॆ झुंड् मे घुस गया .
विश्वास नही हो रहा था इतनी खींचातानी मेँ वह बच कैसे गया.....डर के मारे ही जान निकल जाती ...... कुदरत का करिश्मा ही कह सकते हैँ य़ा उसकी साँसॆँ अभी लिखी थी। जिस प्रकार से वह उठ कर भागा…. आंखोँ के सामने नजारा आता रहता है.
यहाँ भावनाओँ क़ी बात देखिये कि एक़ माँ कैसे सब भैँसॉ को बुला कर लाई और शेरोँ सॆ लड़ने की हिम्मत की ।उसे समझ थी.कि वह अकेली मुकाबला नही कर सकती अपने परिवार के साथ मिल कर ही अपने बच्चे को बचा पायेगी .
इससे हमेँ यही सीख मिलती है कि हम मानव भी एक़ होकर सफलता पा सकते हैँ ... हम भी इस ब्लोग के जरिये एक़ दूसरे के विचारोँ को आगे बढ़ा सकतेँ हैं... .

9 comments:

  1. मुसीबत के समय दुर्बल भी शेर बन जाता है। हमारे साथ साझाा करने के लिए आभार।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  2. जो जुल्म बढ़ जाये हद से ज्यादा
    तजकर अहिंसा हथियार हो जा
    जी हां जानवर हो या आदमी मां तो मां ही होती है
    उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
    फासिला उनके दरमियान भी था

    ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
    इन गज़लों को पूरा पढें यहां

    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें
    उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
    फासिला उनके दरमियान भी था

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  3. bahut achchhi rachana. maa to maa hoti hai. vah apne bachche ke liye kuchh bhi kar sakti hai.

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  4. "हम मानव भी एक़ होकर सफलता पा सकते हैँ ... इस ब्लोग के जरिये एक़ दूसरे के विचारोँ को आगे बढ़ा सकतेँ हैं"
    आप की बात एकदम सही है....
    बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....
    एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....

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  5. शिक्षाप्रद कथानक प्रकाशित करने के लिए बधाई।

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  6. इस खबर को पढ़ने कॆ बाद मेरे विचार बदले ,पहले बडा अटपटा लगा था ....धन्यवाद्

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